• शशांक और शिखा की दोहरी उपलब्धि से ध्यानी परिवार में उत्सव जैसा माहौल

देहरादून। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज़ (UPES) द्वारा आयोजित स्कूल ऑफ एडवांस इंजीनियरिंग कन्वोकेशन सेरेमनी एक बार फिर उत्तराखंड की प्रतिभा का साक्षी बनी। समारोह में प्रदेश के दो युवा शोधकर्ताओं- शिखा ध्यानी और शशांक ध्यानी ने अपने उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन और शोध उपलब्धियों से सबका ध्यान आकर्षित किया।यह अवसर केवल शैक्षणिक नहीं बल्कि प्रेरक भी रहा, क्योंकि दोनों ही भाई-बहन ने अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। जहां शिखा ध्यानी को इंजीनियरिंग में डायरेक्टर की उपाधि से सम्मानित किया गया, वहीं शशांक ध्यानी ने एम.टेक. (हेल्थ, सेफ्टी एंड एनवायरनमेंट) में तीन प्रमुख अवार्ड हासिल कर संस्थान का गौरव बढ़ाया।

मशीन लर्निंग के जरिये हृदय रोगों के निदान पर शोध

शिखा ध्यानी ने अपने शोध का विषय “Analysis of ECG-Based Arrhythmia Detection System Using Machine Learning” चुना, जो आज के स्वास्थ्य विज्ञान में अत्यंत प्रासंगिक और अभिनव विषय है। इस शोध का उद्देश्य मशीन लर्निंग तकनीकों की मदद से हृदय की अनियमित धड़कनों (Arrhythmia) की पहचान को अधिक सटीक, तेज़ और सुलभ बनाना था। शिखा का यह अध्ययन भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के माध्यम से रोग निदान को एक नई दिशा देने में सक्षम माना जा रहा है। उनके इस शोध कार्य का मार्गदर्शन प्रोफेसर डॉ. सुशाभान चौधरी और को-गाइड प्रोफेसर डॉ. आदेश चौहान ने किया। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके कार्य को “एक प्रेरणादायक योगदान” बताते हुए सराहा।

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शिखा ध्यानी उत्तराखंड की नई शोध प्रेरणा

शिखा ध्यानी का संबंध एक शिक्षित और सेवा भावी परिवार से है। उनके पति प्रणव शुक्ला, जो DXC टेक्नोलॉजी (यूएस आधारित कंपनी) में डायरेक्टर पद पर नीदरलैंड्स में कार्यरत हैं। उन्होंने समारोह में भाग लेकर अपनी खुशी साझा की। वहीं शिखा के पिता पी.सी. ध्यानी पिटकुल (PITCUL) में प्रबंध निदेशक (Managing Director) के पद पर कार्यरत हैं। शिखा की इस उपलब्धि पर परिवार, मित्रों और शिक्षकों ने गर्व व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।

शशांक ध्यानी- तीन पुरस्कारों से सम्मानित उत्कृष्ट प्रदर्शन

इसी कन्वोकेशन समारोह में एम.टेक. (हेल्थ, सेफ्टी एंड एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग) सत्र 2023–25 के छात्र शशांक ध्यानी को विश्वविद्यालय के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों में शामिल करते हुए तीन प्रमुख सम्मान प्रदान किए गए।

1. सिल्वर मैडल (अकादमिक मेरिट): एम.टेक. की मैरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर।

2. सिल्वर मैडल (ऑल राउंड परफॉर्मेंस): सर्वश्रेष्ठ सर्वांगीण योगदान के लिए।

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3. डीन्स मेरिट लिस्ट अवार्ड: सत्र 2023–25 में Exemplary Overall Performance के लिए।

शशांक ने अपनी शैक्षणिक यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जिनमें “Impact Assessment of Sustainable Practices in Various Nagar Nigams of Uttarakhand” और “सीएम सौर स्वरोजगार योजना” प्रमुख हैं। उन्होंने इन परियोजनाओं के तहत सतत विकास (Sustainability) और स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित कई व्यावहारिक सिफारिशें प्रस्तुत कीं।

ग्रीन गेम्स में निभाई पर्यावरण प्रहरी की भूमिका

शशांक ध्यानी ने उत्तराखंड सरकार द्वारा आयोजित 38वें नेशनल ग्रीन गेम्स में कार्बन फुटप्रिंट असेसमेंट का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न किया। इस परियोजना के अंतर्गत उन्होंने खेल आयोजन के दौरान उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन का आकलन किया और उसे कम करने के उपाय सुझाए। उनका यह कार्य पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के क्षेत्र में एक उपयोगी दस्तावेज माना जा रहा है। इन सभी शोध और परियोजनाओं को उन्होंने प्रोफेसर डॉ. विक्रमा प्रसाद और प्रोफेसर डॉ. अभिषेक नंदन के मार्गदर्शन में पूरा किया।

परिवार में खुशी और गर्व का माहौल

शशांक और शिखा दोनों की इस दोहरी उपलब्धि से ध्यानी परिवार में उत्सव जैसा माहौल है। पिता पी.सी. ध्यानी, जो पिटकुल में प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत हैं, ने कहा कि “बच्चों की सफलता हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।” उनकी माता, जो यमुना कॉलोनी वार्ड की पूर्व पार्षद रह चुकी हैं, ने भावुक होकर कहा- “हमने हमेशा बच्चों को मेहनत, ईमानदारी और समाज सेवा का संस्कार दिया, आज वही उनके परिणामों में दिख रहा है।” परिवार के जीजा प्रणव शुक्ला ने भी विदेश से वीडियो कॉल के माध्यम से दोनों को बधाई दी और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं।

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UPES में उत्तराखंड की प्रतिभा का परचम

इस कन्वोकेशन समारोह ने यह साबित कर दिया कि उत्तराखंड के युवा न केवल तकनीकी शिक्षा में आगे हैं, बल्कि शोध, नवाचार और समाजसेवा में भी देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। UPES प्रशासन ने कहा कि “शिखा और शशांक जैसे छात्रों ने संस्थान की साख को और ऊंचा किया है। उनका समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।” शिखा और शशांक ध्यानी की यह सफलता केवल एक परिवार की उपलब्धि नहीं, बल्कि उत्तराखंड की उस नई सोच का प्रतीक है जो शिक्षा, शोध और नवाचार को समाज के उत्थान से जोड़ती है।

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