• सत्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, विकसित भारत और सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप – साक्ष्य-आधारित कल्याण नीति को प्रेरित करने हेतु।
  • हॉप 2025 सम्मेलन की सफलता से आईआईटी रुड़की हैप्पीनेस–साइंस के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया।
  • अनुसंधान, नीति और सामाजिक कल्याण को आपसी संवाद एवं बहुविषयक ज्ञान-साझा के माध्यम से जोड़ने की दिशा में एक सार्थक प्रयास।
  • भारत की मानव–विकास दृष्टि को साक्ष्य–आधारित सुख–अनुसंधान के माध्यम से आगे बढ़ाना।
  • शिक्षा, शासन और समुदायों को जोड़कर मानसिक रूप से दृढ़, समृद्ध और प्रगतिशील भारत की दिशा में कदम।
  • कल्याण, नेतृत्व और सतत् मानव–विकास के भविष्य को निर्धारित करने वाले विचारों का संगम।

रुड़की : आईआईटी रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के साइंस ऑफ हैपिनेस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने रेक्खी फाउंडेशन फॉर हैपिनेस, यूएसए के सहयोग से HOPE 2025 – ग्लोबल कॉन्फ़्रेंस ऑन द साइंस ऑफ हैपिनेस एंड ह्यूमन फ्लोरिशिंग का सफल आयोजन आईआईटी रुड़की के मुख्य परिसर में किया। तीन दिवसीय यह सम्मेलन भारत के अग्रणी संस्थानों के विद्वानों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों को एक साथ लाया। इसमें BITS पिलानी (केके बिड़ला गोवा कैंपस), IIT मद्रास, IGDTUW नई दिल्ली और IIM विशाखापट्टनम जैसी संस्थाओं की अकादमिक भागीदारी शामिल रही, जो इसके मजबूत अंतरविषयक और बहु-संस्थागत स्वरूप को दर्शाती है।

सम्मेलन की शुरुआत प्रतिभागियों के पंजीकरण से हुई, जिसके बाद आईआईटी रुड़की परिसर में उच्च-चाय (हाई टी) के दौरान स्वागत बातचीत आयोजित की गई। MAC ऑडिटोरियम में आयोजित उद्घाटन समारोह में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक डॉ. दीपम सेठ तथा प्रबंधन अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रजत अग्रवाल उपस्थित रहे। इस सत्र के बाद “प्रायोरिटाइजिंग हैपिनेस: व्हाई वेलबीइंग मस्ट बी एट द सेंटर ऑफ मॉडर्न लाइफ़ ” विषय पर एक आकर्षक पैनल चर्चा हुई, जिसने सम्मेलन की थीम निर्धारित की और इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक नीति, शिक्षा और संगठनात्मक संस्कृति में खुशी और मानसिक कल्याण को केंद्र में क्यों होना चाहिए। उद्घाटन दिवस का समापन प्रबंधन अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित नेटवर्किंग डिनर से हुआ।

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दूसरे दिन सम्मेलन में प्रबंधन अध्ययन विभाग में पूर्ण दिवस के समानांतर प्रस्तुति सत्र तथा हैपिनेस हैकाथॉन का आयोजन किया गया। शोधकर्ताओं ने डिजिटल वेल-बीइंग, भारतीय ज्ञान प्रणाली, नेतृत्व और दृढ़ता, शहरी खुशी, लैंगिक कल्याण, उपभोक्ता खुशी, न्यूरो-कॉग्निटिव दृष्टिकोण और कार्यस्थल मानसिक स्वास्थ्य जैसे विषयों पर अपने कार्य प्रस्तुत किए। इन सत्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में खुशी-विज्ञान की बढ़ती प्रासंगिकता और समाज में कल्याण-उन्मुख व्यवस्थाओं को आकार देने में इसकी भूमिका को उजागर किया। दोपहर में प्रतिनिधियों ने ऋषिकेश की एक विशेष रूप से तैयार की गई यात्रा में भाग लिया, जिसने माइंडफुलनेस, आत्मचिंतन और सांस्कृतिक अनुभव का अवसर प्रदान किया।

सम्मेलन के अंतिम दिन अतिरिक्त शोध प्रस्तुतियाँ, वेल-बीइंग विज्ञान में अनुभवात्मक सीख को बढ़ाने पर केंद्रित हार्टफुलनेस कार्यशाला तथा प्रबंधन अध्ययन विभाग में आयोजित वैलेडिक्ट्री सत्र शामिल थे। प्रतिभागियों ने तीन दिनों में प्राप्त अनुभवों पर सामूहिक रूप से विचार किया और इस बात पर चर्चा की कि समावेशी, दृढ़ और प्रगतिशील समाजों को आकार देने में अकादमिक शोध किस प्रकार योगदान दे सकता है।

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यद्यपि आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत पूर्व निर्धारित संस्थागत प्रतिबद्धताओं के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके, उन्होंने सम्मेलन और इसके परिणामों के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की। आयोजकों और प्रतिभागियों के लिए भेजे गए संदेश में उन्होंने कहा- “HOPE 2025, मानव उत्कर्ष और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने वाले शोध को आगे बढ़ाने के प्रति आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है। भारत की विकास दृष्टि में खुशी, भावनात्मक दृढ़ता और मानसिक कल्याण को राष्ट्रीय प्रगति के लिए महत्वपूर्ण कारक के रूप में तेजी से स्वीकार किया जा रहा है। यह सम्मेलन, राष्ट्र की ‘विक्सित भारत’ आकांक्षाओं तथा वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों में आईआईटी रुड़की के सार्थक योगदान का उदाहरण है, जहाँ कठोर, अंतरविषयक शोध को राष्ट्रीय विमर्श में लाया जा रहा है।”

समारोह के सामाजिक महत्व पर विचार व्यक्त करते हुए उत्तराखंड के डीजीपी डॉ. दीपम सेठ ने कहा कि आज पुलिसिंग केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं है; यह नागरिकों को सुरक्षित और भय-मुक्त वातावरण प्रदान करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी निभाती है। उन्होंने कहा कि डिजिटल अपराध, महिलाओं और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा, माइंडफुलनेस, भावनात्मक स्थिरता, दृढ़ता तथा उत्तरदायी एआई जैसे विषय आधुनिक पुलिस तंत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं।

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HOPE 2025 राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020), राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति, डिजिटल इंडिया के सुरक्षित-प्रौद्योगिकी उद्देश्यों तथा सुशासन के स्तंभ के रूप में कल्याण पर भारत के व्यापक ध्यान के साथ पूर्ण रूप से अनुरूप है। यह सम्मेलन वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों-SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), SDG 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा), SDG 5 (लैंगिक समानता), SDG 8 (सम्मानजनक कार्य और आर्थिक वृद्धि), SDG 11 (सतत शहर और समुदाय), SDG 16 (शांति, न्याय और मज़बूत संस्थान) और SDG 17 (लक्ष्यों हेतु साझेदारी)-में भी सीधा योगदान देता है।

मजबूत अकादमिक सहयोग, विविध विषयगत सत्रों और गहरी सामाजिक प्रासंगिकता के साथ HOPE 2025 ने खुशी-विज्ञान और मानव विकास शोध के क्षेत्र में आईआईटी रुड़की की राष्ट्रीय नेतृत्व क्षमता को और मजबूत किया है।सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर द साइंस ऑफ हैपिनेस शिक्षा, नीति, सामुदायिक कल्याण और संगठनात्मक व्यवहार में वैज्ञानिक अंतर्दृष्टियों को एकीकृत करने वाले ढाँचे तैयार करने की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है, जिससे भारत के विकसित हो रहे ज्ञान-आधारित विकास परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलता रहेगा।

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