देहरादूनः देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) का ऐतिहासिक ड्रिल स्क्वायर शनिवार को एक बार फिर सैन्य गौरव, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का साक्षी बना। अवसर था आईएमए की 157वीं पासिंग आउट परेड का, जहां वर्षों की कठोर ट्रेनिंग, त्याग और संकल्प के बाद अधिकारी कैडेट्स भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त कर राष्ट्रसेवा के पथ पर अग्रसर हुए।

इस भव्य समारोह में भारतीय थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर परेड की समीक्षा की। सधे कदमों से मार्च करते अधिकारी कैडेट्स, अनुशासित ड्रिल और गूंजते सैन्य बैंड ने पूरे वातावरण को गर्व और भावुकता से भर दिया।

491 युवा अधिकारी बने भारतीय सेना की नई ताकत

157वीं पासिंग आउट परेड के साथ कुल 525 अधिकारी कैडेट्स सेना में शामिल हुए। इनमें से 491 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थल सेना को मिले, जो देश की सीमाओं की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके साथ ही 14 मित्र देशों के 34 कैडेट्स भी अपने-अपने देशों की सेनाओं में कमीशन प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग की मजबूत मिसाल बने।

यह भी पढ़ें :  धामी सरकार की सख्त निगरानी में सुरक्षित भोजन और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की मजबूत व्यवस्था, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन में 2025 बना ऐतिहासिक उपलब्धियों का वर्ष

निष्कल द्विवेदी को मिला स्वॉर्ड ऑफ ऑनर

परेड के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन और सर्वांगीण प्रतिभा के लिए अधिकारी कैडेट निष्कल द्विवेदी को प्रतिष्ठित स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। यह सम्मान अकादमी के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को दिया जाता है और इसे सैन्य प्रशिक्षण की सर्वोच्च उपलब्धियों में माना जाता है।

पीपिंग और ओथ सेरेमनी में ली राष्ट्रसेवा की शपथ

पीपिंग और ओथ सेरेमनी के दौरान कैडेट्स ने भारतीय सेना की गौरवशाली परंपराओं का निर्वहन करने और राष्ट्र की सेवा करने की शपथ ली। यह क्षण न केवल कैडेट्स के लिए, बल्कि उनके परिजनों के लिए भी गर्व और भावुकता से भरा रहा।

‘सेना में कमीशन एक जिम्मेदारी भरे जीवन की शुरुआत’

समारोह को संबोधित करते हुए थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि सेना में कमीशन मिलना केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भरे जीवन की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि सैन्य सेवा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि ऐसा दायित्व है जो सर्वोच्च त्याग और अनुशासन की अपेक्षा करता है।

यह भी पढ़ें :  उत्तराखण्ड में SIR के लिए 167 नए एईआरओ तैनात, देखिए जिलेवार सूची..

उन्होंने कैडेट्स को संबोधित करते हुए कहा कि अकादमी से पास आउट होने के बाद हर कदम पर कोई मार्गदर्शक साथ नहीं होगा, लेकिन तब एक अधिकारी के कंधों पर कहीं अधिक बड़ी जिम्मेदारी होगी। एक अधिकारी के निर्णय, आचरण और नेतृत्व क्षमता अधीनस्थों के साथ-साथ पूरे समाज के लिए उदाहरण बनते हैं।

रोल मॉडल बनने की जिम्मेदारी

जनरल द्विवेदी ने कहा कि देश और समाज एक सैन्य अधिकारी को रोल मॉडल के रूप में देखता है। ऐसे में हर अधिकारी के आचरण में मूल्य, कर्तव्य और राष्ट्र के प्रति निष्ठा स्पष्ट रूप से दिखाई देनी चाहिए। उन्होंने नव-नियुक्त अधिकारियों से सेवा, समर्पण और नेतृत्व के मूल्यों को जीवन भर अपनाए रखने का आह्वान किया।

यह भी पढ़ें :  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल में 121 करोड़ 52 लाख 46 हजार रुपये की लागत के 13 विकास कार्यों का किया लोकार्पण एवं शिलान्यास

परिजनों की आंखों में गर्व और भावुकता

परेड के दौरान स्टैंड्स में मौजूद कैडेट्स के परिजनों की आंखों में गर्व और भावनाएं साफ झलक रही थीं। वर्षों की कठिन ट्रेनिंग और संघर्ष के बाद जब उनके बेटे और बेटियां अधिकारी बनकर परेड मैदान से गुजरे, तो यह पल उनके लिए जीवनभर की स्मृति बन गया।

नेतृत्व निर्माण की जीवंत मिसाल

आईएमए की 157वीं पासिंग आउट परेड ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि भारतीय सैन्य अकादमी केवल सैन्य प्रशिक्षण का संस्थान नहीं, बल्कि ऐसा केंद्र है जहां अनुशासन, नेतृत्व और राष्ट्रसेवा के मूल्यों के साथ भविष्य के सेनानी तैयार किए जाते हैं। 491 नए अधिकारियों के जुड़ने से भारतीय सेना की शक्ति और प्रतिबद्धता को नई ऊर्जा मिली।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *