नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन IndiGo की उड़ानों में जारी उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही। शनिवार को भी एयरलाइन ने कई फ्लाइटें रद्द कर दीं, जिससे यात्रियों के लिए यह लगातार पांचवां दिन बना जब एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी और लंबी कतारें आम दृश्य रहीं।

अहमदाबाद एयरपोर्ट से 7 आगमन और 12 प्रस्थान वाली उड़ानें आज रद्द कर दी गईं। तिरुवनंतपुरम और अन्य प्रमुख शहरों से भी उड़ानों के ठप होने की खबरें आईं। लोग टिकट लेकर खड़े थे, मगर उड़ानें हवा में नहीं, नोटिस बोर्डों पर ही घूमती रहीं।

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उधर, किराये का हाल तो और भी चौंकाने वाला—दिल्ली से बेंगलुरु जैसी रूट पर टिकट के दाम 50 हजार रुपए तक पहुंच गए। यात्रियों का कहना है कि उड़ानें रद्द होने के बाद री-बुकिंग इतनी महंगी है कि जैसे विदेश यात्रा कर लें, सस्ता पड़ जाए।

क्यों फंस गई IndiGo?

इस संकट की जड़ DGCA के नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को माना जा रहा है। पायलटों और क्रू के आराम के घंटे बढ़ने के बाद IndiGo पर भारी दबाव पड़ा और अचानक क्रू की कमी सामने आ गई।

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पुरानी कहावत याद आती है—“तैयारी आधी जीत है।” लेकिन इंडिगो लगता है बिना तैयारी के ही नए नियमों के मोर्चे पर जा खड़ी हुई।

हालात बिगड़ने पर सरकार भी सक्रिय हुई। केंद्र ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक पैनल गठित किया है और कहा है कि “जिसकी भी लापरवाही है, उसे जवाब देना होगा।” यह बयान यात्रियों के घाव पर थोड़ी मरहम जैसा है, मगर सफर तो फिर भी अधूरा ही पड़ा है।

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